Hindi(Kritika) Class 9 : पाठ 4 - माटी वाली

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NCERT Solution Class 9 Hindi Kritika पाठ 4 - माटी वाली
NCERT Solution Class 9 Hindi Kritika


पाठ - 4
 माटी वाली
 ‐ श्री विद्यासागर नौटियाल

प्रश्न‐अभ्यास

प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?

उत्तर 1) माटी वाली हँसमुख स्वभाव वाली एक बूढ़ी औरत थी, जो कनस्तर में लाल मिट्टी भरकर शहर में घर‐घर दिया करती थी। वह माटाखान से मिट्टी लाती थी। इसी मिट्टी को बेंचकर वह अपना जीवनयापन करती थी। माटी वाली की लाल मिट्टी हर घर की आवश्यकता थी, जिससे चूल्हे‐चौके की पुताई की जाती थी। इसके बिना किसी का काम नहीं चलता था। मिट्टी देने का यह काम उसके अलावा कोई और नहीं करता था। इसलिए टिहरी के लोग माटी वाली को ही नहीं बल्कि उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते थे।


प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

उत्तर 2) माटी वाली समाज के अत्यन्त गरीब मज़दूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। वह सुबह जल्दी उठकर माटाखान जाती तथा मिट्टी खोदकर कंटर में भरती और घर‐घर पहुँचाती थी। इसके बदले में लोग उसे एक‐दो सूखी रोटियाँ कभी‐कभी ताज ़ा‐बासी साग या चाय दे देते। उसे अपने बीमार पति की चिंता भी रहती थी। उसकी देखभाल भी वही करती थी। ऐसे में उसके पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का ज्यादा समय न था।


प्रश्न 3.
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर 3) भूख और भोजन का आपस में बहुत ही गहरा रिश्ता है। यदि खाने वाले को भूख लगी हो तो भोजन रुचिकर तथा स्वादिष्ट लगता है और खाने वाले का पेट पहले से भरा हो तो वही भोजन उसे अच्छा नहीं लगेगा।उसे भोजन में कोई स्वाद नहीं मिलेगा। भोजन की ओर देखने का उसका जी भी न करेगा। अतः स्वाद भोजन में नहीं बल्कि भूख में है।


प्रश्न 4.
पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर 4) हमारे घरों में पूर्वजों के अथक परिश्रम से बनाई हुई कुछ पुरानी वस्तुएँ होती हैं जो उनके न रहने पर भी पूर्वजों की याद दिलाती हैं। पीढ़ियों से चली आ रही यही धरोहर विरासत के नाम से जानी जाती है। हमें इनका महत्व इनका मूल्य देखकर नहीं समझना चाहिए। इसके लिए उन्हें कितनी ही मेहनत करनी पड़ी होगी। लोग धरोहर का मूल्य समझे बिना, उन्हें अनुपयोगी वस्तु समझकर औने‐पौने दाम में बेच दिया करते हैं। हमें अपने पूर्वजों की बनाई वस्तुओं को सहेजकर रखना चाहिए तथा उनकी रक्षा करनी चाहिए।


प्रश्न 5.
माटी वाली को रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?

उत्तर 5) माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी, मजबूरी और विवशता को प्रकट करता है। माटी वाली दिन भर के अथक परिश्रम के बाद भी इतना नहीँ कमा पाती थी कि जिससे वह अपना तथा अपने बूढ़े बीमार पति का पेट भर सके। यह माटी वाली की विवशता ही थी कि रोटियों का हिसाब लगाकर वह स्वयं खाती थी तथा शेष बची रोटियाँ अपने बूढ़े पति के लिए रख लेती थी।


प्रश्न 6.
आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर 6) माटी वाली का अपने पति के लिए रोटियाँ बचाकर ले जाना और उसे साग के साथ खिलाना उसके अपने जीवनसाथी के प्रति अटूट प्रेम, समर्पण तथा निष्ठा के भावों को बताता है। वह अपने पति के स्वाद एवं स्वास्थ्य दोनों के प्रति चिंता करती है। वह हर हाल में बूढ़े को खुश देखना चाहती है। उसके मन में बूढ़े पति के प्रति दया, वात्सल्य और सहानुभूति है।


प्रश्न 7.
‘गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 7) इस कथन का आशय है ‐ गरीब आदमी का रहने का ठिकाना नहीं छिनना चाहिए। गरीब आदमी अपने स्थान से उजड़कर दूसरे स्थान पर बसने में समर्थ नहीँ होता। इसलिए अगर वह अपने मूल स्थान से उजड़ गया तो फिर उसकी मिट्टी खराब हो जाती है। वह मारा‐मारा फिरता ही रहेगा। इसलिए उसे अपने निवास स्थल पर ही अंतिम साँस लेने का अधिकार होना चाहिए। उसे अंतिम यात्रा अर्थात शमशान तक वहीँ रहना चाहिए, जहाँ का वह मूल निवासी है।


प्रश्न 8.
‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर 8) जब भी विकास के नाम पर कोई बड़ी परियोजना बनती है तो इससे कई लोगों का विस्थापन होता है। विशाल बाँध परियोजना या सड़क परियोजना के निर्माण के प्रभाव में सैकड़ो गाँव और हजारों लोग आ जाते हैं। ऐसे लोगों को अक्सर मुआवजे के नाम पर रुपए‐पैसे दिए जाते हैं और कई बार किसी अन्य स्थान पर जमीन भी दी जाती है। कहना बहुत आसान है लेकिन विस्थापन के बाद जिंदगी  को फिर से नए सिरे से शुरू करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। इसमें बहुत ही कम लोग होते हैं जो आगे की जिंदगी में सफल हो पाते हैं, अधिकतर लोग इस प्रक्रिया में टूट जाते हैं, खासकर वैसे लोग जो निर्धन होते हैं। माटी वाली भी वैसे ही लोगों में से हैं।


अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न - माटी वाली के चरित्र की कौन‐सी विशेषताएँ आपको प्रभावित करती है ? लिखिए।

उत्तर - माटी वाली अत्यन्त गरीब और लाचार महिला है जो अपनी रोजी‐रोटी के लिए सुबह से शाम तक परेशान रहती है। वह प्रातः काल माटाखान जाती है और माटी लाकर घर‐घर में देती है। वह अत्यन्त परिश्रमी महिला है। माटी वाली बुढ़िया का पति बीमार एवं आशक्त था। वह बिस्तर पर लेटा रहता था। माटी वाली शहर से आते ही सबसे पहले अपने पति के भोजन की व्यवस्था कर उसकी सेवा में जुट जाती थी। उसकी पतिपरायणता अनुकरणीय थी। माटी वाली का स्वभाव अत्यन्त विनम्र था। वह सभी की प्रिय थी। सभी उसके कार्य‐व्यवहार से खुश रहते थे। इस प्रकार माटी वाली की परिश्रमशीलता, मृदुभाषिता, पतिपरायणता तथा व्यवहार‐कुशलता मुझे प्रभावित करती है।


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