Hindi(Kshitij) Class 9 : पाठ 6 - प्रेमचंद के फटे जूते

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NCERT Solution Class 9 Hindi Kshitij पाठ 6 - प्रेमचंद के फटे जूते
NCERT Solution Class 9 Hindi Kshitij

 
पाठ - 6 

प्रेमचंद के फटे जूते 

- हरिशंकर परसाई


प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न1. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?

उत्तर (क) उनका जीवन अभावों में बीता।

(ख) उन्हें दिखावा पसंद नहीं था।

(ग) उनका व्यक्तित्व बाहर-भीतर एक सा था।

(घ) प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे।

(ङ) उन्होंने समाज में व्याप्त सदियों पुरानी मान्यताओं को ध्वस्त किया।

(च) वे रुकावटों से बचकर नहीं उनसे लड़कर आगे बढ़ते थे।

(छ) प्रेमचंद को समझौता करना मंजूर नहीं था।


प्रश्न2. सही कथन के सामने () का निशान लगाइए:

(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से उंगली बाहर निकल आई है।

(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।

(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुस्कान मेरे हौसले बढ़ाती है।

(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?

उत्तर. (ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते है जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।


प्रश्न3. नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-

(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्यौछावर होती हैं।

(ख) तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।

(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?

उत्तर. (क) व्यंग्य-टोपी सम्मान की प्रतीक है और जूता अधिकार या सामर्थ्य का। व्यंग्य यह है कि आज शक्तिशाली व्यक्ति के चरणों में अनेक लोग झुकते हैं और अपना स्वाभिमान भुलाकर दूसरे के जूतों पर कुर्बान होने को प्रस्तुत रहते हैं। इसलिए जूतों की कीमत बढ़ गई है। यहां पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान- मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है।

(ख). व्यंग्य-लोगों की छिपाने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य है। लोग अपनी बुराइयों को ढक कर छिपा कर रखते हैं, पर प्रेमचंद के स्वभाव में पर्दा जैसा छिपाने लायक कुछ था ही नहीं। वे तो जैसे बाहर थे वैसे ही भीतर भी थे।

(ग) व्यंग्य-सामाजिक बुराई की तरफ है कि व्यक्ति जिन चीजों को बुरा समझता है उनकी तरफ हाथ की बजाय पाँव की अंगुली से इशारा करता है, अर्थात् पाँव की अंगुली दिखाना अपमान करने के समान है।


प्रश्न4. पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है, कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि ‘नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?

उत्तर. प्रेमचंद का व्यक्तित्व सादगी भरा था। वे जैसे बाहर थे वैसे ही मन से भी थे। प्रायः लोगों के व्यक्तित्व में भिन्नता होती है। वे दिखाई कुछ देते हैं और होते कुछ हैं। अलग-अलग पोशाक’ से लेखक का यही आशय है। परंतु प्रेमचंद के बारे में उसे विश्वास है कि उसके व्यक्तित्व में यह अंतर नहीं हो सकता। इसलिए वह विचार बदल लेता है।


प्रश्न5. आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बातें आकर्षित करती हैं?

उत्तर. प्रस्तुत व्यंग्य पढ़ने के बाद लेखक की कई बातें अपनी ओर आकर्षित करती हैं। लेखक पारखी नजर रखता है। वह प्रेमचंद की फोटो देखकर यह अनुमान लगा लेता है कि ऐसा व्यक्तित्व दिखावे से कोसों दूर है। उसे प्रेमचंद के चेहरे पर लज्जा, संकोच की जगह बेपरवाही और विश्वास दिखाई देता है। वह प्रेमचंद की अधूरी मुस्कान को व्यंग्य कहता है।

उनके द्वारा फोटो का महत्व समझाने की बात भी आकर्षित करती है। आज लोग उधार माँगकर अपने जीवन के अहम् कार्यों को सिरे पहुँचाते हैं। लोग इत्र लगाकर खुशबूदार फोटो खिंचवाना चाहते हैं। लेखक द्वारा दिखावे में विश्वास रखने की बात भी आकर्षित करती है। वे स्वयं दुख उठाते हुए भी दूसरों को उसका आभास भी नहीं होने देना चाहते हैं।


प्रश्न6. पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा?

उत्तर. पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग जीवन की विषमताओं, विडंबनाओं, संघर्षों, बाधाओं, दुखद परिस्थितियों, दुखों को इंगित करने के लिए किया गया है।


प्रश्न7. प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।

उत्तर: हमारे एक मित्र है ‘रमेश बाबू’। हमेशा दूसरों को नसीहत देते रहते है सामने वाला सुन नहीं रहा हो तब भी। दूसरों की गलतियों को तो मीलों दूर से भांप लेते है। और फिर जब तक दूसरा उनके कदमों में ना गिर जाए या उस कार्य से तोबा न कर ले उसका पीछा नहीं छोड़ते। लगता है हिंदी सिनेमा की काफी चर्चित फिल्म ‘3 idiots’ से एक डायलॉग ‘मैं अपने कमजोर स्टूडेंट का हाट कभी नहीं छोड़ता’ को काफी गंभीरता से ले लिया है उन्होंने।

एक समय की बात है हम तीन मित्रो को (एक तो स्वयं में, रमेश बाड़ी जी और हमारे साथ तीसरे और) सुबह दौड़ लगाने जाना था। क्या है न की पेट तो ज्यादा नहीं है लेकिन फिर भी थोड़ा और अंदर हो जाए तो मजा आ जाए। लेकिन दूसरी सुबह हमारे तीसरे सहयोगी ५ मिनट देरी से आए। रमेश बाबू जी ने उनकी क्लास वहीं ले डाली और समय की उपयोगिता की सारी बाते उनको सीखा दी।

लेकिन जब वही समय खुद पर आया ऑफिस की किसी मीटिंग को अटैंड करने के लिए सुबह थोड़ी जल्दी पहुंचना था। तो स्वयं 20 मिनट देरी से पहुंचे बॉस की डांट फटकार सुनने। चलिए कोई नही रमेश जी ने कौन सा जान बूझ कर ये काम किया होगा। रात को थोड़ा आंख देरी से लगी होगी या सुबह कोई सुनहरा सपना आ गया होगा तो कोई भी उस मीठे सपने में कई घंटे बीता दे उन्होंने तो 20 मिनट ही बिताए।

नहीं तो आप ही सोचिए जो व्यक्ति समय के उपयोग के बारे में इतना ज्ञान रखता हो तो दूसरी को भी बताता हो स्वयं पर उसको लागू न क्रिया हो न, ना ऐसा तो सोचना भी पाप जान पड़ता है।


प्रश्न8. आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?

उत्तर: आज का समाज वेश-भूषा को बहुत महत्व देने लगा है। वेशभूषा को सामाजिक प्रतिष्ठा का सूचक माना जाने लगा है। लोग उस व्यक्ति को ज्यादा आदर और सम्मान देने लगे हैं जिसकी वेशभूषा अच्छी हो।


भाषा अध्ययन

प्रश्न9. पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: १. ठोकर मारना – जख्मी करना।
वाक्य – मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते राहुल को काफी ठोकरों का सामना करना पड़ा।

२. होंसला पस्त करना – उत्साह नष्ट करना।
वाक्य – भारतीय सैनिकों ने अपने शौर्य से पाकिस्तानी सैनिकों के हौसले पस्त कर दिए।

३. टीला खड़ा होना – बाधाएं आना।
वाक्य – जीवन जीना सरल नहीं है। यहां पग-पग पर टीले खड़े हैं।

४. जंजीर होना – बंधन होना।
वाक्य – स्वतंत्रता से जीने वाला व्यक्ति कभी किसी जंजीर में नहीं बांधता।


प्रश्न10. प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।

उत्तर: प्रेमचंद का व्यक्तित्व उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का प्रयोग किया है, वे हैं

• जनता के लेखक

• महान कथाकार

• साहित्यिक पुरखे

• युग प्रवर्तक

• उपन्यास-सम्राट


प्रश्न11. महात्मा गांधी भी अपनी वेशभूषा के प्रति एक अलग सोच रखते थे, इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे, पता लगाइए।

उत्तर: छात्र महात्मा गांधी की जीवनी पढ़कर स्वयं पता लगाएँ।


प्रश्न12. महादेवी वर्मा ने ‘राजेंद्र बाबू’ नामक संस्मरण में पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का कुछ इसी प्रकार चित्रण किया गया है, उसे पढ़िए।

उत्तर: छात्र ‘राजेंद्र बाबू’ संस्मरण पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।


प्रश्न13. अमृतराय लिखित प्रेमचंद की जीवनी ‘प्रेमचंद कलम का सिपाही पुस्तक पढिए।

उत्तर: छात्र प्रेमचंद की जीवनी स्वयं पढ़ें।


Extra Questions

1. लोग फोटो में अधिक सुंदर क्यों दिखना चाहते हैं? 

उत्तर 
लोग फोटो में अधिक सुंदर दिखना चाहते हैं ताकि बाहरी दुनिया में उनकी प्रशंसा हो। इसके लिए वे जब फोटो खिंचवाते हैं तो कई प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करते हैं, जिससे कि फोटो में सुंदर और भले दिख सकें। वे माँगी हुई पोशाक तक पहनने में नहीं हिचकिचाते। कई तो इत्र लगाकर फोटो खिंचाते हैं। ताकि उनकी फोटो में भी खुशबू आ जाए।


2. लेखक के अनुसार, प्रेमचंद के जूते फटने का क्या कारण था?

उत्तर
लेखक के अनुसार, प्रेमचंद का जूता किसी सख्त चट्टान से टकराने के कारण ही फटा है। अर्थात् प्रेमचंद ने चट्टान से बचकर निकलने की कोशिश नहीं की बल्कि उसे रास्ते से हटाने का प्रयास किया। इसका अर्थ है कि वे हमेशा समाज की कुरीतियों से लड़ते रहे, भले ही उनका जीवन कष्टमय रहा हो।


3. प्रेमचंद की फोटो से उनके किस व्यक्तित्व का पता चलता है?

उत्तर
प्रेमचंद ने फोटो में फटे जूते पहन रखे हैं तथा बंद भी बेतरतीब ढंग से बँधे हुए हैं। उनकी पोशाक भी पुरानी है। इससे यही पता चलता है कि उनके वास्तविक जीवन और बाहरी जीवन में कोई अंतर नहीं था। उन्होंने हमेशा सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत किया। इस प्रकार उनकी फोटो से उनके सरल व्यक्तित्व का पता चलता है।


4. 'पर्दे के महत्त्व' पर लेखक और प्रेमचंद में क्या अंतर है?

उत्तर- प्रेमचंद पर्दे को महत्त्व नहीं देते थे क्योंकि उन्होंने कभी अपनी वास्तविकता दुनिया से नहीं छिपाई। उन्होंने अपनी दुर्दशा पर पर्दा डालकर अच्छी छवि बनाने की कोशिश नहीं की। वहीं दूसरी ओर, लेखक को पर्दे का महत्व पता है। वे अपनी वास्तविकता दुनिया से छिपाकर रखना चाहते हैं। प्रेमचंद की तरह वे भी अभाव तथा कमी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन अपनी दुर्दशा पर पर्दा डालकर कमजोरियाँ छिपाते हैं।


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