Hindi (Kshitij) Class 9 : पाठ 7 - मेरे बचपन के दिन
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पाठ - 7
मेरे बचपन के दिन
- महादेवी वर्मा
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर:
(क) सन् 1900 के आसपास जब लेखिका पैदा हुई थी उस समय स्त्रियों की स्थिति बहुत शोचनीय थी। उनके प्रति लोगों का दृष्टिकोण बहुत अच्छा न था। कुछ स्थानों पर तो लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया करते थे। लोग पुत्रों को अधिक महत्त्व देते थे। लड़कियों की शिक्षा, पालन-पोषण आदि को बहुत महत्त्व नहीं दिया जाता था। उस समय बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, सती-प्रथा आदि सामाजिक कुरीतियाँ प्रचलित थीं जो महिलाओं के लिए घातक सिद्ध हो रही थीं।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज की परिस्थितियों में काफी सुधार आया है। लोग पहले जहाँ जन्म लेते ही लड़कियों को मार देते थे, आज भूण परीक्षण के माध्यम से जन्म के पूर्व ही उनकी हत्या करने का प्रयास करते हैं। सरकार के द्वारा कठोर कदम उठाने से इस में कमी आई है, दूसरे घटते लिंगानुपात ने भी लोगों को इस दिशा में सोचने को विवश किया है। इससे कुछ लोगों द्वारा लड़कियों को भी शिक्षित कर लड़कों जैसा ही समझा जाने लगा है।
प्रश्न 2. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई?
उत्तर: लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई क्योंकि
(i) उनके घर में उर्दू-फारसी का माहौल नहीं था, जिसके कारण बचपन में उन्हें इस भाषा को सीखने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिला।
(ii) लेखिका के मन में यह बात बैठ गई थी कि उर्दू-फ़ारसी सीखना उसके वश की बात नहीं।
(iii) इस भाषा को सीखने में वह रुचि नहीं लेती थी।
(iv) मौलवी जब लेखिका को उर्दू सिखाने आते थे तब वह चारपाई के नीचे छिप जाया करती थी।
प्रश्न 3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-
(i) धार्मिक स्वभाव- नियमित रूप से लेखिका की माँ पूजा-पाठ करती थीं। वे ईश्वर में आस्था रखती थीं। वे प्रभातियाँ तथा मीराबाई के पद गाती थीं।
(ii) संस्कारी महिला- लेखिका की माँ बहुत ही अच्छे गुणों वाली महिला थीं, जिनका असर लेखिका पर भी पड़ा।
(iii) हिंदी-संस्कृत की ज्ञाता- लेखिका की माँ को हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था।
(iv) धार्मिक सहिष्णुता- लेखिका की माँ धर्म सहिष्णु महिला थीं। उन्होंने जवारा के नवाब के परिवार से अच्छे संबंध बनाए थे ।
प्रश्न 4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर: लेखिका के परिवार और जवारा के नवाब दोनों एक ही परिसर में रहते थे। हिंदू और मुस्लिम परिवार होने के बावजूद भी दोनों परिवारों के संबंध बहुत अच्छे थे। एक-दूसरे के त्योहारों को दोनों परिवार मिल-जुलकर मनाया करते थे। दोनों परिवारों का जन्मदिन एक दूसरे के परिवारों के साथ मनाया जाता था। रक्षाबंधन के दिन लेखिका नवाब के बेटे को राखी बाँधती थी तो मुहर्रम के दिन लेखिका के परिवार के बच्चे हरे कपड़े पहनते थे। नवाब के पत्नी द्वारा ही लेखिका के छोटे भाई का नाम मनमोहन दिया गया था । आज जगह-जगह हिंदू और मुसलमान के नाम पर दंगे होते हैं। इसके अलावा धर्म, संप्रदाय आदि के नाम पर मतभेद पैदा गई है। उस तरह के सांप्रदायिक सदभाव सचमुच स्वप्न बनकर रह गए हैं।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होती/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर: जेबुन्निसा के स्थान पर यदि मैं लेखिका का कुछ काम करती तो निम्नलिखित अपेक्षाएँ रखती
(i) वे पढ़ाई में मेरी मदद करें।
(ii) उन्हें कविताएँ सुनानी चाहिए और मुझे कविता लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
(iii) वे मेरी प्रशंसा करें तथा मुझ पर स्नेह बनाए रखें।
प्रश्न 6. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर: देशहित में या देश पर आई किसी आपदा निवारण के लिए में पुरस्कार में मिली कोई वस्तु या अपनी निजी वस्तु सहर्ष दे दूँगा। पुरस्कार से प्यार तो मुझे भी है पर देशहित की बात आने पर यह प्यार देश के लिए बढ़ जाएगा। मेरे लिए व्यक्तिगत हित, देशहित के सामने कोई महत्त्व नहीं रखता है।
प्रश्न 7. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर: लेखिका पांचवी कक्षा में क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश लिया। यहाँ देश के अलग-अलग हिस्सों से छात्राएँ पढ़ने आती थीं। वे सब छात्रावास में अपनी-अपनी मातृभाषा में बातें करती थीं। बुंदेलखंड क्षेत्र से आने वाली बुंदेली में, महाराष्ट्र से आने वाली मराठी में, अवध से आने वाली अवधी में, ब्रज क्षेत्र से आने वाली ब्रजभाषा में, तथा हिंदी भाषा के क्षेत्र से आने वाली हिंदी में बातें करती थीं। सभी अपनी-अपनी बोली में बात करते हुए साथ-साथ हिंदी और उर्दू पढ़ती थीं। उनमें किसी तरह का कोई विवाद न था। इस प्रकार छात्रावास का परिवेश बहुभाषी था।
प्रश्न 8. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर: जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ आस-पास कुछ मुसलमानों के घर भी हैं। एक बार पाकिस्तान भारत के साथ क्रिकेट के एक करीबी मैच में हार गया। मुसलमानों के घर के पास कुछ शरारती लड़कों ने पटाखे फोड़ दिया। यह बात मुसलमानों को नागवार गुजरी और उन्होंने एक हिंदू लड़के को पीट दिया। बस क्या था, दंगे जैसी स्थिति बन गई। यह पता चला कि दोनों ओर के दस लोग घायल हो चुके हैं। मैंने उस दिन अपनी कोचिंग की कक्षाएँ समाप्त कीं और दस बजे लौट रहा था जब सबसे किनारे वाले मकान के रऊफ चाचा ने मुझे अंदर खींच लिया और सारी बातों से मुझे अवगत कराया। उन्होंने मेरे परिवार वालों को फोन किया। परिवार वाले पुलिस के साथ वहाँ आए और रऊफ चाचा को धन्यवाद देकर मुझे घर ले गए। यह घटना को याद कर के मैं आज भी रऊफ चाचा का आभारी हूँ।
प्रश्न 9. महादेवी ने कवि-सम्मेलनों में कविता-पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर: इसे विद्यार्थी स्वयं करें।
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