Hindi(kshitij) Class 9 : पाठ 2 - ल्हासा की ओर

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NCERT Solution Class 9 Hindi Kshitij पाठ 2 - ल्हासा की ओर
NCERT Solution Class 9 Hindi Kshitij

पाठ-2  

ल्हासा की ओर

‐ श्री राहुल सांकृत्यायन

प्रश्न‐अभ्यास ‐

प्रश्न 1.
थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?

उत्तर 1) इसका मुख्य कारण था ‐ संबधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थी। जब लेखक भिखमंगे वेश में थोड्ला के पहले की आखरी गाँव में पहुँचा था तब उसके साथ सुमिति भी थे। सुमिति के वहाँ पर बहुत से यजमान थे। उनकी जान पहचान के कारण उन्हें उस समय भिखमंगे होने के बावजूद भी ठहरने के लिए उचित स्थान मिल गया था।

दूसरी यात्रा के समय जब लेखक भद्र वेश में था तब उसे ठहरने के लिए उचित स्थान नहीं मिला। क्योंकि लेखक उस गाँव के लोगों के लिए अपरिचित तो था ही और वह श्याम के समय वहाँ पहुँचा था। श्याम के समय वहाँ के लोग छड् पीकर मस्त हो जाते थे तब वे यात्रियों की सुविधा का ध्यान नहीं रखते थे। इसके अलावा उनके साथ सुमिति भी नहीं था।



प्रश्न 2.
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकारे का भय बना रहता था?

उत्तर 2) उस समय तिब्बत में हथियार का कोई कानून न होने के कारण यात्रियों को हमेशा अपने जान और माल का खतरा बना रहता था। वहाँ के लोग हथियारों को लाटी‐डंडे की तरह लेकर चलते थे। वहाँ अनेक निर्जन स्थान थे, जहाँ डाकुओं को किसी का भय नहीं रहता था। ऐसे स्थानों पर पुलिस का भी प्रबंध नहीं होता था। ऐसे में डाकू यात्रियों की पहले हत्या करते थे, फिर उससे माल लूटते थे।



प्रश्न 3.
लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?

उत्तर 3) लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से निम्नलिखित कारणों से पिछड़ गया -

# लेखक का घोड़ा धीरे‐धीरे चल रहा था।

# घोड़े के सुस्त पड़ने से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।

# वह गलत रास्ते पर डेढ़‐दो मील चलता गया और फिर वापस आकर सही रास्ते पर गया।



प्रश्न 4.
लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?

उत्तर 4) लेखक ने शेखर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि वहाँ उसके बहुत से यजमान रहते थे। अगर वह जाता तो उसे बहुत समय लग जाता और लेखक को उसकी प्रतिक्षा करनी पड़ती। परन्तु दूसरी बार उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि लेखक को शेखर विहार के ही एक मंदिर में बुद्ववचन‐अनुवाद की 103 पोथियाँ मिल गई। इनके अघ्ययन व ज्ञानार्जन के लिए समय की आवश्यकता थी और लेखक पुस्तकों में रम गया था।



प्रश्न 5.
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?

उत्तर 5) अपनी यात्रा के दौरान लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ‐

# लेखक को ऊँचे‐नीचे पहाड़ी रास्तों पर तेज धूप में यात्रा करनी पड़ी।

# लेखक को यह यात्रा डाकुओं के भय के साए में करनी पड़ी।

# लेखक का घोड़ा बहुत सुस्त था इसलिए वह अपने साथियों से पिछड़ गया।

# लेखक को वापस आते समय अपना सामान पीठ पर लादकर यात्रा करनी पड़ी।

# लेखक को न केवल भिखमंगों के वेश में यात्रा करनी पड़ी बल्कि बीच‐बीच में ’ कुची‐कुची एक पैसा ’ कहकर भीख भी माँगनी पड़ी।



प्रश्न 6.
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?

उत्तर 6) प्रस्तुत यात्रा‐वृत्तांत के आधार पर उस समय के तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि ‐

# उस समय का तिब्बती समाज बहुत खुला था, जिसमें जाति‐पाँति, छुआछूत, ऊँच‐नीच जैसी बातें न थी।

# महिलाएँ पर्दा नहीं करती थीं। वे अपरिचितों को भी चाय बनाकर दे दिया करती थीं।

# समाज में मदिरा‐पान (छङ्) का रिवाज था।

# लोग जान‐पहचान के आभाव में उस समय रात बिताने के लिए आश्रय नहीं देते थे।

# लोग धार्मिक प्रवृत्ति के साथ अंधविश्वासी भी थे जो गंडे के नाम पर साधारण कपड़े के टुकड़ों पर भी विश्वास कर लेते थे।



प्रश्न 7.
‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था।’ नीचे दिए गए विकलों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।

उत्तर 7) क ‐ लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।



प्रश्न 8.
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?

उत्तर 8) सुमति की चारित्रिक विशेषताएँ -

# सुमति व्यवहार कुशल व्यक्ति थे।

# उनका व्यवहार सबसे मित्रतापूर्ण था।

# वे जहाँ भी जाते थे वहीं अपने अच्छे स्वभाव के कारण मित्र बना लेते थे।

# सुमति बौद्ध धर्म में आस्था तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते है।



प्रश्न 9.
हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख़याल करना चाहिए था।’-उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।

उत्तर 9) यह अनुचित है। सामान्यतः यह माना जाता है कि वेश से व्यक्तित्व निर्धारित होता है, पर वेश ही व्यक्तित्व नहीं है। एक कहावत है ‐ सादा जीवन और उच्च विचार।

मेरे विचार से हमारा आचार‐विचार तथा व्यवहार का तरीका व्यक्ति की वेशभूषा के आधार पर तय नहीं होना चाहिए। यह आवश्यक नहीं कि अच्छे कपड़े पहननेवाला बहुत अच्छा इनसान ही हो। साधारण वेशभूषा पहनने वाला व्यक्ति भी महान हो सकता है।



प्रश्न 10.
यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/ शहर से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर 10) तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह भारत के उत्तर में स्थित है जो नेपाल का पड़ोसी देश है। इसकी सीमा भारत और चीन से लगती है। यह समुद्रतल से सत्रह‐अठारह हजार फीट ऊँचाई पर है।

इस पहाड़ी प्रदेश के रास्ते बहुत ही ऊँचे‐नीचे हैं। यहाँ पहाड़ों के मोड़ सुनसान और खतरनाक हैं। यहाँ दूर‐दूर तक आबादी नहीं होती है। यहाँ एक ओर हिमालय की ऊँची चोटियाँ हैं तो दूसरी ओर ऊँचे‐ऊँचे पहाड़ खड़े हैं। यहाँ की जलवायु भी अनुपम है। धूप वाले भाग में जहाँ तेज गर्मी पड़ती है, वहीं छाया वाले भाग में खूब ठंडक होती है। डाँड़े यहाँ का सबसे खतरनाक स्थान है। यहाँ का तिङ्री नामक स्थान तो अद्भुत है। इसमें एक विशाल मैदान है जिसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ है और बीचोंबीच भी एक पहाड़ी है। इस पहाड़ी पर एक मंदिर है, जिसे पत्थरों के ढेर, जानवरों के सीगों और रंग‐बिरंगे कपड़े की झंड़ियों से सजाया गया है।



प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?

उत्तर 12) हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग‐1 में निम्नलिखित पाठ एवं विधाएँ हैं -

पाठ                              विधा

# दो बैलों की कथा – कहानी

# ल्हासा की ओर  यात्रा वृतांत 

# उपभोगक्तावाद की संस्कृति – निबंध

# साँवले सपनों की याद – संस्मरण

# नाना साहब की पुत्री देवी

मैना को भस्म कर दिया गया – रिपोर्ताज

# प्रेमचंद के फटे जूते  निबंध

# मेरे बचपन के दिन – संस्मरण

# एक तोता और एक मैना – निबंध

’ल्हासा की ओर’ यात्रा‐वृतांत है। यह कहानी, संस्मरण, नाटक, निबंध, उपन्यास सबसे अलग है। इसका मुख्य विषय है ‐ यात्रा का वर्णन। पूरा पाठ यात्रा से आरंभ होकर यात्रा पर समाप्त होता है। इसमें लेखक ने यात्रा की समस्त वस्तुओं, व्यक्तियों तथा घटनाओं का वर्णन किया है।



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